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Vote / Poll

BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?

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अब जनता कांग्रेस-भाजपा से परेशान हो चुकी है
30%
'आप' की वजह से कांग्रेस और भाजपा में चिंता है
10%
केजरीवाल राजस्थान में कामयाब नहीं हो पाएंगे
90%
राजस्थान में भी 'आप' की सरकार बननी चाहिए
70%
Total count : 138

Vote / Poll

डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?

अजय सिंह किलक
56%
शिव देशवाल
26%
अन्य
18%
Total count : 7524

Vote / Poll

कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?

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सिद्देरमैया
67%
डीके शिवकुमार
13%
मल्लिकार्जुन खड़गे
13%
बता नहीं सकते
7%
Total count : 15

Vote / Poll

फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?

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समुदाय विशेष को टारगेट करना
33%
राजनीतिक लाभ लेने के लिए
11%
फिल्मों को हिट करने के लिए
44%
कुछ बता नहीं सकते
11%
Total count : 9

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कल से सुप्रीम कोर्ट में शीतकालीन अवकाश, कोई बेंच नहीं बैठेगी

The Fact India: सुप्रीम कोर्ट में 17 दिसंबर (शनिवार) से एक जनवरी, 2023 तक  शीतकालीन अवकाश रहेगा। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की कोई भी पीठ तात्कालिक  मामलों की सुनवाई के लिए मौजूद नहीं रहेगी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को यह बड़ा एलान किया।

सीजेआई चंद्रचूड़ का यह कदम अहम माना जा रहा है, क्योंकि गुरुवार को ही संसद के राज्यसभा में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि लोगों का मानना है कि अदालतों की लंबी छुट्टियां न्याय चाहने वालों के हित में नहीं हैं।  सीजेआई ने शुक्रवार को सुनवाई शुरू होने के पूर्व अपने कोर्ट रूम में मौजूद वकीलों को सूचित किया कि शनिवार (17 दिसंबर) से एक जनवरी तक कोई बेंच उपलब्ध नहीं होगी। दो सप्ताह के शीतकालीन अवकाश से पहले शुक्रवार शीर्ष अदालत का अंतिम कार्य दिवस है। सुप्रीम कोर्ट दो जनवरी को फिर से खुलेगी। देश की अदालतों में छुट्टियों का मुद्दा इससे पहले भी उठ चुका है।

कॉलेजियम की नियुक्ति की फाइलें केंद्र सरकार के पास लंबित होने की वजह से केंद्र व सुप्रीम कोर्ट में ताजा तकरार के बीच यह मामला नए सिर से उठा हैं। इससे पहले तक जब भी अवकाश होता था तब अवकाश के दिनों में भी सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला कोर्ट तक आपात मामलों की सुनवाई के लिए एक दो अवकाशकालीन पीठ मौजूद रहती थीं। अदालतों की छुट्टियों पर पूर्व सीजेआई एनवी रमण ने कहा था कि यह गलत धारणा है कि जज बेहद आराम में रहते हैं और वे अपनी छुट्टियों का आनंद लेते हैं। इसी साल जुलाई में जब झारखंड की राजधारी रांची में ‘लाइफ ऑफ ए जज’ विषय पर लेक्चर देते हुए तत्कालीन सीजेआई रमण ने कहा था कि जजों की रातों की नींद उड़ जाती है और वे अपने फैसलों पर पुनर्विचार करते हैं। उन्होंने कहा था कि लोगों के मन में यह गलत विचार है कि जज आराम में रहते हैं और केवल सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक काम करते हैं और छुट्टियों का मजा लेते हैं। जजों को ये बातें गले नहीं उतरती हैं।

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