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चंद्रमा पर आया भूकंप, चंद्रयान-3 ने भेजा संदेश; इसरो ने बताया- 26 अगस्त को रिकॉर्ड किए गए चांद की सतह पर भूकंप, सोर्स पता कर रहे हैं
The Fact India: चंद्रमा पर 26 अगस्त को भूकंप आया था। इसकी जानकारी चंद्रयान-3 ने पृथ्वी पर भेजी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर लगे इंस्ट्रूमेंट ऑफ लूनर सीस्मिक एक्टिविटी (आईएलएसए) पेलोड ने चंद्रमा की सतह पर भूकंप की प्राकृतिक घटना को रिकॉर्ड किया है। ये भूकंप 26 अगस्त को आया था। इसरो ने बताया कि भूकंप के सोर्स की जांच जारी है।
इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 के लैंडर पर लगा आईएलएसए पेलोड माइक्रो इलेक्ट्रो मेकैनिकल सिस्टम्स (एमईएमएस) टेक्नोलॉजी पर आधारित है। ये पहली बार है जब चांद की सतह पर ऐसा इंस्ट्रूमेंट भेजा गया है। रोवर और अन्य पेलोड के चलने से चांद पर होने वाले कंपन को इस इंस्ट्रूमेंट ने रिकॉर्ड किया है।
23 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग के बाद चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर धरती पर रोज नई जानकारी भेज रहे हैं। अभी हाल ही में अपने दूसरे ऑर्ब्जेवेशन में रोवर ने बताया कि चांद के साउथ पोल पर सल्फर, एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन है। हाइड्रोजन की खोज जारी है।
आईएलएसए में छह हाई-सेंसिटिविटी एक्सेलोमीटर्स का एक क्लस्टर है। इन एक्सेलोमीटर्स को सिलिकॉन माइक्रोमशीनिंग प्रोसेस की मदद से भारत में ही बनाया गया है। इसके कोर सेंसिंग एलिमेंट में स्प्रिंग मास सिस्टम है जिसमें कोम्ब-स्ट्रक्चर वाले इलेक्ट्रोड लगे हैं। बाहरी कंपन की वजह से आईएलएसए के स्प्रिंग में हलचल होती है, जिससे उसके इलेक्ट्रिकल चार्ज को स्टोर करने की कैपेसिटी में बदलाव होता है। ये चार्ज वोल्टेज में परिवर्तित होता है।
आईएलएसए का प्रमुख उद्देश्य है प्राकृतिक भूकंप, लैंडर या रोवर के इम्पैक्ट या किसी और आर्टिफिशियल इवेंट की वजह से चंद्रमा की सतह पर उठने वाले कंपन को मापना। 25 अगस्त को रोवर के चलने से वाइब्रेशन रिकॉर्ड थे, इसके बाद 26 अगस्त को भी वाइब्रेशन रिकॉर्ड किए गए, हालांकि ये प्राकृतिक नजर आए। इस वाइब्रेशन के पीछे क्या कारण था, उसकी जांच जारी है।