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दिल्ली के पुराना किला की खुदाई में महाभारत काल के सबूत मिले; भगवान विष्णु, गणेश की मूर्तियां निकलीं, कुषाण युग के ताबे का पहिया मिला
The Fact India: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) इन दिनों दिल्ली के पुराना किला में खुदाई कर रहा है। यहां एएसआई को महाभारत काल से जुड़े सबूत मिले हैं। एएसआई के निदेशक वसंत स्वर्णकार ने बताया कि साइट से भगवान विष्णु, गज लक्ष्मी, भगवान गणेश की मूर्तियां और पेंटेड ग्रे वेयर कल्चर (पीजीडब्ल्यू) से जुड़े कुछ मिट्टी के बर्तन मिले हैं।
वसंत स्वर्णकार ने बताया कि खुदाई के दौरान मिले कलाकृतियों से महाभारत से लेकर पूर्व-मौर्य काल तक के सबूत मिले हैं। उन्होंने कहा कि खुदाई पूरी होने के बाद ही ठोस दावे किए जा सकते हैं। एएसआई ने कहा कि उन्हें सबूत मिले हैं जो बताते हैं कि महाभारत काल (1100-1200 ईसा पूर्व) के दौरान दिल्ली का पुराना किला उनका गढ़ हुआ करता था।
स्वर्णकार के मुताबिक उन्हें किले के एक टीले पर पेंटेड ग्रे वेयर (पीजीडब्ल्यू) के टुकड़े (मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े) मिले हैं, जो महाभारत काल से जुड़े हुए हैं। वसंत स्वर्णकार पुराने किले में चल रही खुदाई का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस किले में खुदाई के दौरान अब तक कुषाण युग का एक तांबे का पहिया, राजपूत काल का एक तीर का सिरा और मुगल शासनकाल के सिक्के प्राचीन कलाकृतियों समेत कई तमाम चीजें मिली हैं।
दरअसल, चित्रित धूसर मृदभांड संस्कृति (पीजीडब्ल्यू) उत्तर भारत की तांबे और लोहे से संबंधित संस्कृति है। इस संस्कृति से संबंधित जगहों पर लोहे के इस्तेमाल के सबूत मिलते हैं। साथ ही मिट्टी के स्लेटी रंग के बर्तनों पर काले रंग से कुछ डिजाइन बने होते हैं। स्वर्णकर ने कहा कि अलग-अलग युगों को अलग-अलग मिट्टी के बर्तनों की शैलियों से दर्शाया जाता है। जो स्लेटी रंग के बर्तन मिले हैं उन पर डिजाइन के तौर पर काले धब्बे और स्ट्रोक भी बने हैं।
पेंटेड ग्रे वेयर कल्चर के बारे में पहली बार 1940 से 1944 के बीच पता चला था। 1950-52 के दौरान आर्कियोलॉजिस्ट (पुरातत्वविद) बीबी लाल को हस्तिनापुर में खुदाई के दौरान इससे जुड़े सबूत मिले। जिसके बाद इस संस्कृति की तारीख 1100-800 बीसीई के बीच तय की गई। महाभारत का युद्ध भी इसी दौरान हुआ था।
वसंत स्वर्णकर ने कहा- 1970 के दशक में आर्कियोलॉजिस्ट (पुरातत्वविद) बीबी लाल ने पुराना किला में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ को ढूंढने के लिए खुदाई शुरू की थी। सदियों पहले जमीन के नीचे दबी कई जगहें और उसने जुड़े सबूत अब खुदाई होने के बाद सामने आ रहे हैं। ये जमीन की अलग-अलग परत में मिल रहे हैं। बीबी लाल के मुताबिक, जमीन की सबसे गहरी परत पेंटेड ग्रे वेयर कल्चर की पाई गई। इसलिए उन्होंने पेंटेड ग्रे वेयर कल्चर को महाभारत के साथ जोड़ा। इसलिए हम मान रहे हैं कि साइट पर जो चीजें मिली हैं वो महाभारत काल की हैं।
जिस जगह खुदाई हो रही है उसे इंद्रप्रस्थ एक्सकेवेशन साइट नाम दिया गया है। दरअसल, इंद्रप्रस्थ पांडवों के पांच गांवों में से एक और उनकी राजधानी था। स्वर्णकर ने कहा कि भले ही हमें महाभारत काल से जुड़े सबूत मिले हों, लेकिन हम अभी ये नहीं कह सकते कि ये साइट ही इंद्रप्रस्थ है। हमें पूरी जांच करनी होगी। पूरी साइट की खुदाई करने में दो साल लग जाएंगे। इसके बाद ही हम किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकेंगे।