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राष्ट्रपति से नए संसद भवन का उद्घाटन कराने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने नहीं सुनी; याचिकाकर्ता ने पिटीशन वापस ली, कहा- नहीं जाएंगे हाईकोर्ट
The Fact India: सुप्रीम कोर्ट ने नए संसद भवन के उद्घाटन पर दायर याचिका नहीं सुनी। याचिका में मांग की गई थी कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति करें। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता एडवोकेट जया सुकिन ने दलीलें देनी शुरू कीं। कोर्ट ने कहा कि आप लोग ऐसी याचिका लाते ही क्यों हैं, समझ में नहीं आता। इसमें आपका क्या इंटरेस्ट है? सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद याचिकाकर्ता एडवोकेट जया सुकिन ने याचिका वापस वापस ले ली। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह इस मामले को हाईकोर्ट में नहीं ले जाएंगे।
सुकिन ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में उन्होंने कहा था कि लोकसभा सचिवालय ने राष्ट्रपति को नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में न बुलाकर संविधान का उल्लंघन किया है। राष्ट्रपति ही इनॉग्रेशन राष्ट्रपति करें। याचिका में कहा गया कि 18 मई को लोकसभा सचिवालय ने बताया कि नए संसद का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। राष्ट्रपति और दोनों सदनों से मिलकर संसद बनती है। देश का प्रथम नागरिक राष्ट्रपति होता है। राष्ट्रपति के पास संसद बुलाने और उसे खत्म करने की शक्ति है।
याचिका में कहा गया कि प्रधानमंत्री और दूसरे मंत्रियों की नियुक्ति करता है। सभी कार्य राष्ट्रपति के नाम पर ही किए जाते हैं। लोकसभा सचिवालय ने मनमाने तरीके से बिना सोचे-समझे आदेश जारी कर दिया है। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को नए संसद भवन के इनॉग्रेशन में आमंत्रित ना करना संविधान का उल्लंघन है। राष्ट्रपति को कार्यकारी, विधायी, न्यायिक और सैन्य शक्तियां भी प्राप्त हैं।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका नहीं सुनी। इस पर याचिकाकर्ता ने कोई से याचिका वापस लेने की मांग की। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल एसजी मेहता ने कहा कि याचिका वापस लेने के बाद ये हाईकोर्ट भी जा सकते हैं। इस ऐतराज पर कोर्ट ने जया सुकिन से सवाल कि अगर आप हाईकोर्ट जाना चाहते हैं तो हम याचिका रद्द कर देंगे। इस पर सुकिन ने कहा- मैं हाईकोर्ट भी नहीं जाऊंगा। मैं नहीं चाहता याचिका रद्द हो, वरना सरकार को ऐसे इनॉग्रेशन का सर्टिफिकेट मिल जाएगा।