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महाराष्ट्र में शिंदे की सरकार बची रहेगी या संकटों से घिर जाएगी, सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला, 16 मार्च को कोर्ट की संविधान पीठ में पूरी हो गई थीं दलीलें
The Fact India: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार बची रहेगी या संकट में आ जाएगी, इसका फैसला गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट करेगा। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ गुरुवार को उद्धव ठाकरे गुट और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट की विभिन्न याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट में 16 मार्च को ही सुनवाई पूरी हो गई थी। कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं।
बता दें कि पिछले साल शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से बगावत करके भाजपा के सहयोग से सरकार बना ली थी। राज्यपाल ने उनकी सरकार को मान्यता देकर शपथ दिलाई थी। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 23 अगस्त, 2022 को, तत्कालीन सीजेआई एनवी रमना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों वाली बेंच ने दोनों गुटों की याचिकाओं पर कानून से जुड़े कई प्रश्न तैयार किए थे। केस को पांच जजों की बेंच को रेफर कर दिया था। याचिकाओं में दलबदल, विलय और अयोग्यता कई संवैधानिक प्रश्न उठाए गए हैं।
मामले में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट की ओर से वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल, हरीश साल्वे, महेश जेठमलानी और अभिकल्प प्रताप सिंह ने दलीलें पेश की थीं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले में राज्यपाल ऑफिस की पैरवी की। उद्धव गुट कि तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, देवदत्त कामत और अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी ने दलीलें पेश कीं।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के आखिरी दिन यानी 16 मार्च को इस बात पर अचंभा जताया था कि कोर्ट उद्धव सरकार की बहाली कैसे कर सकता है क्योंकि उद्धव ने फ्लोर टेस्ट के पहले ही इस्तीफा दे दिया था। उद्धव ने अपनी याचिका में मांग की थी कि राज्यपाल का जून 2022 का आदेश रद्द किया जाए जिसमें उद्धव से सदन में बहुमत साबित करने को कहा गया था। इस पर उद्धव गुट ने कहा कि यथा स्थिति (स्टेटस को) बहाल की जाए, यानी उद्धव सरकार बहाल की जाए जैसा कोर्ट ने 2016 में अरुणाचल प्रदेश में नबाम तुकी सरकार की बहाली के ऑर्डर में किया था।