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सचिन पायलट को लेकर राजस्थान की राजनीति में चर्चाओं का बाजार गर्म है. लेकिन अभी भी कुछ साफ नहीं है.ऐसे में कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं. साथ ही साथ बीजेपी और अन्य दलों में भी हलचल सचिन पायलट को लेकर है. जिसमें एक नया नाम आम आदमी पार्टी का जुड़ गया है. चर्चा है कि, सचिन पायलट पर अब केजरीवाल की नजर है. वे पायलट को अप्रोच करने की कोशिश कर सकते हैं. इस बात पर थोड़ा गौर करें तो कई तरह से इसे समझ सकते हैं. राजस्थान का गणित समझने से पहले गुजरात के चुनाव पर थोड़ी नजर डालनी होगी.
जैसा कि, जानते हैं आम आदमी पार्टी ने गुजरात में विधानसभा चुनावों में जोरदार प्रचार किया था और 13 फीसदी वोटों के साथ 5 सीटें भी हासिल की. नतीजों में आम आदमी पार्टी को भले ही उम्मीद से कम सफलता मिली,लेकिन उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा जरूर मिल गया. आम आदमी पार्टी के गुजरात में एंट्री का नुकसान सीधे तौर पर कांग्रेस को उठाना पड़ा. इसकी वजह सामने आई कांग्रेस का आपस में बंटा होना. जिसकी वजह से वोटर्स ने आम आदमी पार्टी का रुख किया था. ठीक ऐसी ही स्थिति राजस्थान में भी दिखाई दे रही है, जिसका फायदा उठाने की कोशिश आम आदमी पार्टी जरूर करेगी. इसकी तस्वीर हाल ही में हनुमान बेनीवाल की बेटी के जन्मदिन में दिखाई दी थी. जिसमें अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पहुंचे थे. इसके बाद हनुमान बेनिवाल ने भी पायलट को लेकर कहा था कि, अगर पायलट उनके साथ आ जाएं ते वे बड़ी आसानी से राजस्थान में आगे निकल सकते हैं.
अब ऐसे में पायलट के पास कई विकल्प हैं वे चाहें अपनी खुद की पार्टी भी बना सकते हैं क्योंकि उनके चाहने वाले राजस्थान में बहुत हैं. जो पायलट को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. जैसा कि, आप जानते हैं. राजस्थान में एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी के सरकार बनने की परंपरा है, ऐसे में 2023 में कांग्रेस की सरकार फिर से सत्ता में आती है तो पायलट को एक बार फिर सीएम पद के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है और यदि सरकार नहीं बनती है तो उन्हें 2028 तक इंतजार करना पडेगा. तब तक सीएम पद के कई दावेदार सामने आ जाएंगे. ऐसे में प्रदेश में पायलट के लिए संभावनाएं बहुत कम हो जाएंगी और यदि पायलट कांग्रेस छोड़कर अलग पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में जाएं ये थोड़ा मुश्किल है,लेकिन इसकी संभावना सबसे अधिक है,क्योंकि पहले भी कई उदाहरण हैं जिनमें महाराष्ट्र में शरद पंवार,पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी,आन्ध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की तर्ज पर पायलट एक अपना जनाधार खड़ा कर सकते हैं. रोचक बात ये है कि, कांग्रेस से अलग होकर पार्टी बनाने वाले लंबे समय तक उसी राज्य में मुख्यमंत्री भी रहे और कुछ तो अभी भी है. अब पायलट का प्लान क्या होगा ये तो पायलट और राजनीतिक समीकरणों से ही पता चलेगा.