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कूनो नेशनल पार्क से मादा चीता निर्भया गायब, रेडियो कॉलर खराब होने से ट्रेस करना मुश्किल, खोजने के लिए ड्रोन कैमरों का इस्तेेमाल शुरू
The Fact India: मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क से मादा चीता निर्भया का कोई अता-पता नहीं है। उसका रेडियो कॉलर खराब होने से उसे ट्रेस करना मुश्किल हो रहा है। कूनो पार्क प्रबंधन कई दिनों से सर्चिंग ऑपरेशन चला रहा है। इसके बाद भी कोई सफलता नहीं मिली है। सर्च को तेज करने के लिए कूनो नेशनल पार्क में ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल करना शुरू किया है।
कूनो नेशनल पार्क के प्रबंधन खुले जंगल में घूम रहे चीतों को बाड़े में लाकर उनके रेडियो कॉलर निकालने में जुटा है। रेडियो कॉलर की वजह से हुए इन्फेक्शन ने प्रोजेक्ट चीता पर सवालिया निशान लगा रखे हैं। पिछले दिनों रेडियो कॉलर की वजह से हुए इन्फेक्शन की वजह से कूनो पार्क प्रबंधन और प्रोजेक्ट चीता से जु़ड़े अधिकारी निशाने पर हैं।
इस समय कूनो के बाड़ों में 13 चीते हैं। इसमें सात नर और छह मादा हैं। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञों ने अब तक छह चीतों के रेडियो कॉलर हटा दिए हैं। दो मादा चीता अब भी बाड़े के बाहर खुले जंगल में हैं। इनमें से एक चीता की लोकेशन तो मिल रही है, लेकिन दूसरी मादा चीता निर्भया को ट्रेस नहीं किया जा सका है। निर्भया को खोजने के लिए पग मार्क की मदद भी ली जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि इस मादा चीता को कूनो की बाहरी सीमा पश्चिम मोरवान के जंगल में देखा गया है।
रेडियो कॉलर के कारण इन्फेक्शन की वजह से पिछले दिनों चीतों की मौत हुई थी। कुछ चीतों में इन्फेक्शन बहुत बढ़ गया था। इसके बाद तय हुआ था कि सभी चीतों को खुले जंगल से पकड़कर फिर से बाड़ों में लाया जाए। उनका हेल्थ चेकअप किया जाए। भारतीय विशेषज्ञों के साथ-साथ नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से आए विशेषज्ञ भी कूनो में मौजूद हैं।
11 में से छह चीतों के रेडियो कॉलर हेल्थ चेक-अप के बाद हटा दिए गए हैं। जिन चीतों के रेडियो कॉलर हटाए गए हैं, उनकी पहचान गौरव, शौर्य, पवन, पावक, आशा और धीरा के तौर पर की गई है। अधिकारियों का दावा है कि यह सभी चीता स्वस्थ हैं।
पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को कूनो के बाड़ों में छोड़ा था। इसके बाद फरवरी में 12 चीते दक्षिण अफ्रीका से लाए गए थे। एक मादा चीता ने इस दौरान चार शावकों को जन्म दिया।
इसके बाद अलग-अलग कारणों से तीन शावकों समेत आठ चीतों की मौत अब तक हो चुकी है। एक शावक और 15 वयस्क चीते अब भी कूनो में हैं, जिनमें से 13 वयस्क चीते और एक शावक बाड़े में है।